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Saturday, April 18, 2020

लोन लेने वालों के लिए बड़ी खबर , MSME और किसानों के लिए मददगार

लोन लेने वालों के लिए बड़ी खबर, EMI नहीं चुकाने पर अब 180 दिन तक डिफॉल्टर नहीं:-

रिजर्व बैंक ने EMI नहीं चुकाने पर 180 दिन तक डिफॉल्टर नहीं घोषित का निर्देश जारी किया है। लोन लेने वालों को 3 महीने के मोराटोरियम पीरियड के बाद 90 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जाएगा ताकि वह EMI को दोबारा शुरू कर सकें|
  
हाइलाइट्स:
लोन लेने वालों को रिजर्व बैंक ने दी बड़ी राहत
180 दिन तक डिफॉल्टर नहीं घोषित होंगे
मोराटोरियम पीरियड के बाद मिलेंगे 90 दिन एक्स्ट्रा
तीन महीने का समय इसलिए कि रेग्युलर कर सकें EMI

रिजर्व बैंक ने आज लोने लेने वालों को बड़ी राहत का ऐलान किया है। आरबीआई ने लोन डिफॉल्टर की परिभाषा को फिलहाल बदल दिया है। आज के अपने संबोधन में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जिन लोनधारकों ने मोराटोरियम पीरियड को चुना है, उन्हें 3 महीने के बाद 90 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जाएगा ताकि वह EMI को दोबारा शुरू कर सकें। इस दौरान इसे NPA नहीं माना जाएगा।

NPA नहीं मानेगा बैंकदूसरे शब्दों में समझें तो जो लोन 29 फरवरी तक रेग्युलर थे और जिन लोगों ने मार्च में तीन महीने का मोराटोरियम विकल्प चुना है, उस लोन को 180 दिनों तक NPA नहीं घोषित किया जाएगा। बैंक ऐसे लोन में सितंबर तक EMI नहीं जमा होने पर भी एनपीए की घोषणा नहीं करेगी।

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लोन लेने वालों को 180 दिनों की राहत

बैंक उस लोन को एनपीए घोषित कर देता है जिसकी ईएमआई तीन महीने तक के लिए नहीं चुकाई जाती है। एक लोन जब एनपीए घोषित हो जाता है बैंक रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार रखता है। ऐसे में जिन लोगों ने कार लोन, कार लोन लिए हैं उन्हें अब 180 दिनों की राहत मिल गई है।

अभी NPA का निपटान 210 दिनों में
अभी बैंकों को दबाव वाली संपत्तियों (NPA) के मामलों का निपटान 210 दिन में करना होता है। यदि वे निर्धारित समयसीमा में वे उसका निपटान नहीं कर पाते हैं तो उन्हें उसके लिए 20 प्रतिशत अतिरिक्त प्रावधान (प्रोविजनिंग) करना होता है। मौजूदा समय में बैंकों के पास चूक या डिफॉल्ट के बाद 30 दिन का समय समीक्षा के लिए होता है। उन्हें किसी इकाई द्वारा चूक के संदर्भ में निपटान योजना क्रियान्वयन 180 दिन के अंदर करना होता है।


कॉर्पोरेट के लिए सिस्टम लिक्विडिटी और सपोर्ट का ध्यान
आरबीआई की घोषणाओं पर श्री जयकिशन परमार, सीनियर इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट, एंजल ब्रोकिंग लिमिटेड ने कहा कि रिजर्व बैंक ने एनपीए में कुछ राहत प्रदान करते हुए कॉर्पोरेट के लिए सिस्टम लिक्विडिटी और सपोर्ट का ध्यान रखा है। ऐसे सभी खातों के लिए जिन्हें बैंक और एफआई ने मोराटोरियम दिया है, 90 दिन के नियमों में मोराटोरियम की अवधि शामिल नहीं होगी।

NBFCs के लिए अलग से घोषणा
यह कदम कुछ हद तक पूंजी पर दबाव कम करेगी। लॉकडाउन के बाद की अवधि में चिंता का प्रमुख कारण था एनबीएफसी को लिक्विडिटी सपोर्ट। हालांकि, आज रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई उपायों की घोषणा की। नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी को पैसा दिया गया है ताकि एनबीएफसी/ एचएफसी को फंडिंग सुनिश्चित की जा सके।

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